"अभिज्ञानशाकुन्तलम् एवं कामायनी के तुलनात्मक संदर्भ" - कृतिकार डॉ. सुशीलकुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु'



                भारत के सर्वश्रेष्ठ सुकवियों में कालिदास तथा जयशंकर प्रसाद की गणना होती है जिनकी रचनाधार्मिता का उ‌द्घोष विश्वंधुत्व तथा लोकमंगल है। इनकी कृतियों में स्वर्ण विहग तथा विश्व गुरु भारत के गुणसूत्र परिलक्षित होते हैं। कालिदास तथा प्रसाद शैव महाकवि हैं। दोनों के अनुसार शिव विश्वमूर्ति हैं। कालिदास ने सर्वत्र शिव को समादर दिया है, यही स्थिति प्रसाद की है। शाकुन्तलम् का प्रारंभ जल (जो अष्ट मूर्ति शिव की पहली मूर्ति है) से होता है ठीक यही स्थिति कामायनी की है जिसका वर्णन प्रलय प्रवाह से होता है। शाकुन्तलम् का समापन भगवन् शिव की आराधना-वंदना से होता है और कामायनी का समापन भी कैलाश पर्वत पर शिव के सान्निध्य में होता है। शाकुन्तलम् के अंतिम श्लोक में लोककल्याण की कामना की गयी है। कामायनी के अंतिम छन्द में लोककल्याण की कामना की गयी है। कामायनी की अंतिम कामना या संदेश आनंद ही है। कालिदास तथा प्रसाद दोनों वैदिक संस्कृति के पक्षधर हैं। शाकुन्तलम् की कथा ऋषिकुल से प्रारंभ होकर उसके (शंकुतला के) राजरानी बनने पर समाप्त होती है। कामायनी कालांतर में मनु की पत्नी बनती है। मनु राजा थे। कालिदास तथा प्रसाद प्रकृति के महाकवि हैं जिनमें गहन सूक्ष्म अन्वीक्षण, परीक्षण तथा निर्धारण की परा प्रतिभा है। इन दोनों महाकवियों का रचना संसार विलुप्त ज्ञान का नवीन क्षितिज होने के साथ ही रस-माधुरी तथा आनंद उत्स से भरपूर है। शाकुलन्तम् तथा कामायनी मानव जाति के कल्याण पथ की दीपशिखा हैं।

कृतिकार डॉ. सुशीलकुमार पाण्डेय
'साहित्येन्दु'

१. जन्मतिथि, स्थान : १५ जुलाई, १९५२ ई. ग्राम-भिलोरा, पत्रालय- नौसड़, जनपद-गोरखपुर (उ.प्र.)

  २. माता-पिता : स्व. सूरत पाण्डेय, स्व. सुमिरन पाण्डेय। भ्राता-राजकुमार पाण्डेय, पत्नी श्रीमती राजकुमारी पाण्डेय, पुत्र डॉ. सलिल कुमार पाण्डेय, डॉ. समीर कुमार पाण्डेय।

            ३. शिक्षा : एम.ए., पी. एच.डी. (संस्कृत-गोरखपुर वि.वि.)।

           ४. प्रकाशित कृतियाँ : १. प्रतीक्षा (खण्ड काव्य), १९८३ ई. २. कौडिन्य (महाकाव्य), २०१२ ई., ३. अगस्त्य (महाकाव्य) २०१३ ई., ४. शब्द कहे आकाश (दोहा संग्रह), २०१४ ई. ५. तुलसी तत्त्व चिन्तन (निबन्ध संग्रह) २०१६ ई., ६. योग तत्त्व चिन्तन २०१७ ई. ७. मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत २०१७ ई., ८. अभिज्ञानशाकुन्तलम् एवं कामायनी के तुलनात्मक संदर्भ २०१९ ई.

             ५. सम्मान : साहित्य-क्षेत्र में १४३, मानवाधिकार क्षेत्र में ०३ तथा अन्य ०८।

            ६. हिन्दी गद्य तथा पद्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण एवं मौलिक सेवा, प्राचीन भारत तथा दक्षिण पूर्व एशिया के सांस्कृतिक सम्बन्धों पर आधारित भारतीय तथा विदेशी ग्रन्थों की मीमांसा कर कौंडिन्य (२०१२) कम्बोडिया से सम्बन्धित तथा अगस्त्य (२०१३) (जावा, बाली से सम्बन्धित) नामक महाकाव्यों की रचना, जिसकी प्रशंसा लगभग १०० महामनीषियों द्वारा की जा चुकी है, जिनमें दो ज्ञानपीठ, तीन पद्मभूषण, पाँच पद्मश्री सम्मान प्राप्त तथा ११ कुलपति हैं। शिवकाम, प्रबन्धकाव्य, 'भावनिकुंज', 'कवि की बातें', 'चिन्तनचर्चा' तथा सार्थवाह बुद्धगुप्त, सप्तर्षि मण्डल आदि अप्रकाशित गद्यपरक कृतियाँ हैं। डॉ. पाण्डेय की सारस्वत साधना पर केन्द्रित शोध जर्नल 'शिक्षा साहित्य' (ISSN NO-0974-0856) तथा चेतनता (ISSN. 2554-1575) का विशेषांक। १३२ लेख प्रकाशित, १६ विश्व, ४८ राष्ट्र, २५ प्रदेश तथा ३७ क्षेत्र स्तरीय संगोष्ठियों में शोध-लेख का वाचन/सहभागिता। सहलेखन के रूप में १३ कृतियाँ प्रकाशित। शोध-निर्देशन में १७ शोध छात्रों को पी-एच.डी. की उपाधि, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत शोध परियोजना शीर्षक 'दक्षिण पूर्व एशिया में कौण्डिन्य एवं अगस्त्य ऋषि की ऐतिहासिकता तथा उनके सांस्कृतिक प्रभाव पर शोध कार्य प्रगति पर लगभग १३५ साहित्यिक मनीषियों द्वारा कृतियों की समीक्षा, पाण्डुलिपियों के संग्रहकर्ता, १५ राष्ट्रीय पुस्तकालयों में अध्ययन, १५ राष्ट्रस्तरीय शैक्षिक यात्रायें, "डॉ. सुशीलकुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' के शैक्षिक/साहित्यिक योगदान" पर शोध कार्य

           ७. सेवा : एसोसिएट प्रोफेसर / अध्यक्ष संस्कृत विभाग, सन्त तुलसीदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कादीपुर, सुलतानपुर (उ.प्र.) २२८१४५ (१६-१०-१९७३ ई. से ३०.०६.२०१५ तक)

        ८. सम्पर्क सूत्र : सरस्वती शिशु मन्दिर मार्ग, मु. पटेलनगर, पत्रालय-कादीपुर, जिला-सुलतानपुर (उ.प्र.) - २२८१४५,

            दूरभाष : ०५३६४-२३२६२७, मोबाइल : ९५३२००६९००

            ई-मेल : sahityendu52@gmail.com

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