प्रसाद जी की रचनाओं का अनुवाद: प्रतिभा कुमार की उल्लेखनीय यात्रा

 

श्रीमती प्रतिभा कुमार (१९४१-२०२०) ने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, से अंग्रेजी साहित्य में स्वर्ण पदक के साथ एम की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1963-1966 के दौरान बनस्थली विश्वविद्यालय (तत्कालीन बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान) में, 1966 से 1985 तक सेंट माइकल स्कूल (दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल; उन्होंने यहाँ स्कूल पुस्तकालय की स्थापना की) में, और 1985 से 1991 तक रोटरी पब्लिक स्कूल (गुरुग्राम, हरियाणा) में अंग्रेजी पढ़ाई। सत्तर वर्ष की आयु में, गंभीर बीमारी से संघर्ष करते हुए, उन्होंने हिंदी से अंग्रेजी में साहित्यिक अनुवाद का कार्य शुरू किया। जय शंकर प्रसाद के महाकाव्य 'कामायनी' का प्रतिभा जी द्वारा अंग्रेजी अनुवाद 2013 में प्रकाशित हुआ। इस अनुवाद को श्री जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन से सम्मान पत्र पुरस्कार मिला।

‘कामायनी’ का अनुवाद

 

इसके बाद, भगवती चरण वर्मा के ऐतिहासिक उपन्यास 'चित्रलेखा' का अनुवाद, ' डांसर, हर लवर एंड योगी', 2015 में सम्पूर्ण हुआ। आचार्य चतुरसेन का उपन्यास  'वैशाली की नगरवधू' का अनुवाद, 'ब्राइड ऑफ सिटी', 2021 में प्रकाशित हुआ और इस अनुवाद के लिए प्रतिभा जी सिंगापुर साहित्य पुरस्कार (अनुवादन, 2024) के लिए शॉर्टलिस्ट हुईं। उनके जीवन साथी श्री विनोद कुमार (१९४१-२०२३) प्रसाद जी के मर्मज्ञ थे  उन्होनें लगातार प्रतिभा जी का प्रोत्साहन किया, जिसके आभार में प्रतिभा जी ने 'प्रतिभा विनोद कुमार' का कलमी नाम अपनाया।

A person and person posing for a picture

AI-generated content may be incorrect.

२०१७ में श्रीमती प्रतिभा कुमार और श्री विनोद कुमार

प्रतिभा जी के स्वर्गवास के उपरान्त, विनोद जी ने उनके दो और अनुवादों को प्रकाशित किया: प्रसाद जी का प्रसिद्द नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' और  प्रसाद जी की ही कहानियों का संग्रह।

Dhruvswamini

The Storm and Other Stories

'ध्रुवस्वामिनी' का अनुवाद

'आंधी' और अन्य कहानियों का अनुवाद

 

 

सिंगापुर साहित्य पुरस्कार के प्रशस्ति पत्र में प्रतिभा जी कि भाषा के लिए ये कहा गया है: "अनुवाद की भाषा सुंदर, कुशल और जीवंत है। इसकी खासियत ये है कि ये  प्रत्येक दृश्य की मांग के अनुसार सुंदरता, विस्मय, रहस्य, चंचलता आदि को व्यक्त करने को ढल जाती है।" 

Comments

Popular posts from this blog

"अभिज्ञानशाकुन्तलम् एवं कामायनी के तुलनात्मक संदर्भ" - कृतिकार डॉ. सुशीलकुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु'